जी हां, अभी कल की ही बात है! मशीनीकरण की इस भाग दौड़ भरी जिंदगी में अपने से जुड़े हुए हजारों लोगों को एक साथ सैकड़ों मैसेज भेजने के बाद, यदि कोई पूछे "एक बात कहनी है..., कहुँ??" लोग आश्चर्यचकित रह जाते हैं और जवाब भी देते हैं.... यह एक बड़ी बात है... यह बताता है कि आपके शब्दों की कीमत है .. अलग बात है आप के हजारों मैसेज को वे भले ही रिस्पांस नहीं कर पाते हैं. निश्चित ही उनके मन में एक कोना आपके लिए सुनिश्चित है.. उनके हृदय में आपके प्रति गहरा प्यार... अपनत्व और आपकी कार्य पद्धति के प्रति थोड़ी भावना जरूर जुड़ी है. ये चुनिंदा लोग हम सबके लिए फीडबैक के रूप में हमेशा ही हमारे कार्य समुचित मार्गदर्शन करते हैं.. चलिए बात करते हैं मूल विषय की...व्यक्तित्व विकास का पांचवा चरण.
"रिमूविंग नेगेटिव एंटिटीज". जी हां हम बात कर रहे हैं.. अपने जीवन से कुछ नकारात्मक लोगों को या विचारों को हटाना. जब आप आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए अपनी यात्रा शुरू करते हैं, जैसा कि पिछले दो लेख में हमने बताया था.. "इतना भी आसान नहीं था खुद को पाना" और "कहां से जहां तक की यात्रा" वाले लेखों में मैंने व्यक्तित्व विकास जैसे बड़े विषय के 4 पदों पर विचार किया था. पहला था, आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए किसी भी अच्छे काम की शुरुआत करना, दूसरा था.. कंसिस्टेंटली करते रहना..मतलब अनवरत करते रहना, तीसरा था यह जानना कि आपके लिए क्या जरूरी है और चौथा था फीडबैक. आत्मविश्वास प्राप्त करने के लिए इन चार पहलुओं पर जोर देना बहुत जरूरी होता है... और पांचवा चरण इन सभी चार चरणों का पोषण करने के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. इसलिए इसको समझना अत्यंत आवश्यक है.
"नेगेटिव माइंडसेट" के लोगों को यदि हम अपने जीवन में जरा भी स्थान देंगे... आप और हम ना तो अपनी शुरुआत कर सकते हैं, और ना ही प्रारंभ किए गए किसी नए काम को अनवरत कर सकते हैं. आपके किसी भी काम में जो आपके लिए भी बिल्कुल नया है... वह काम सभी के लिए कैसे प्रशंसनीय या फिर जाना पहचाना हो सकता है? ऐसी परिस्थिति में नेगेटिव माइंड सेट के लोग, आवश्यकता से अधिक टीका टिप्पणी करके आपके मनोबल को कम कर देते हैं. ऐसे लोगों से बचने का हर संभव प्रयास आपको करना ही होता है. नेगेटिव माइंड सेट के लोग जरूरी नहीं कि आपके शत्रु हो, वे आपके परिवार के अपने खास हो सकते हैं ... परंतु अपने खास व्यक्तित्व के कारण, वे आपके कार्यों की पूरी समझ ना रखते हुए भी आपके काम को प्रभावित करने से गुरेज नहीं करते. ऐसी परिस्थिति में किसी भी नेगेटिव माइंड सेट के व्यक्ति से एक खास दूरी बना कर रखना और अपने को उनकी विचारधारा में आने से बच कर रहना अत्यंत आवश्यक होता है. आप की शुरुआत,आपकी कंसिस्टेंसी, आपका मनन चिंतन.. कि,
आपके लिए क्या जरूरी है और आपका फीडबैक यह सब कुछ एक क्षण में प्रभावित हो सकता है यदि आप नेगेटिव माइंडसेट के लोगों से अपने को बचा कर नहीं रखते.... यह बात जरूर है कि यदि आप स्पून फीडिंग के शिकार हैं , और हमेशा ही आपकी समस्याओं को हल करने के लिए लोग मिलते रहे हैं, उस परिस्थिति में भी आपको और अधिक अपने ऊपर केंद्रित रहना होगा.अन्यथा आपका अपना आत्मविश्वास कभी भी प्राप्त नहीं हो सकता. और इसीलिए आपको कुछ खास लोगों की जरूरत होती है.. आपके जीवन में अनवरत रूप से. वे कुछ खास लोग आपकी तरह ही मेहनत करने वाले.. अपनी शुरुआत करने वाले.. एक दूसरे को मनोबल देने वाले और आपके जीवन में कदम दर कदम आ रही "अच्छाई" को समझने वाले लोग होते हैं. आज के वैश्विक परिवेश में यह जरूरी नहीं कि ये लोग आपके घर के आस-पास या आपके अपने रिश्तेदार हो. सोशल मीडिया के आ जाने के बाद अपने ऊपर काम करना और वैश्विक रूप से लोगों से या कहूं अपने जैसे ही लोगों से जुड़े रहना बहुत आसान हो गया है. बस आपको थोड़ा गंभीरता पूर्वक इन सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का सदुपयोग करना है. अनेकों लोगों के लिए यह सोशल मीडिया का क्षेत्र एक बहुमूल्य धरोहर के रूप में प्रचारित हो रहा है. परन्तु वही कुछ लोगों के लिए सोशल मीडिया अभी भी मात्र खिलौना ही है. आगे हम बात करेंगे आत्मविश्वास प्राप्त करने के छठवे चरण की! छठवां चरण बहुत ही सामान्य है परंतु बहुत जरूरी.हमारी और आपकी लड़ाई को जारी रखने के लिए हमें छठवें चरण पर विशेष ध्यान देना चाहिए. इसका नाम है "स्मॉल टारगेट, स्टेडी प्रोग्रेस".
बहुत सारे लोग अपने जीवन में बहुत दूरगामी प्लान करते हैं. हमें आईएएस निकाल लेना है, हमें यह परीक्षा पास कर लेनी है.. हमें उस इंटरव्यू में सिलेक्ट हो जाना है.. हमें उस ऑडियंस के लिए विश्व विजेता बनकर निकलना है... परंतु हम अगले 1 साल का मसौदा अगले 1 सप्ताह के मसौदे में खींचना नहीं सीख पाते... हमारे एक एक हफ्ते की छोटी-छोटी पूजी ही, पूरे वर्ष की कहानी कहती है...अपने लिए जो व्यक्ति अगले 10 साल या 5 साल का मसौदा तैयार करे, उसे अगले 10 दिन या अगले 5 दिन का प्लान भी अपने सामने उसी तरह रखना चाहिए जैसे किसी भी एड्रेस में हम सबको अपना डेस्टिनेशन पता होता है...
किसी भी एड्रेस पर पत्र को जब पोस्टमैन को पहुंचाना होता है.. वह पहले, एड्रेस को उल्टा पढ़ना शुरुआत करता है. और धीरे-धीरे आपके उस खास स्थान पर केंद्रित होता है. यदि वह पोस्टमैन.. पत्र हाथ में लेकर, असली मंजिल के विषय में सोचना शुरु कर दे..तो निश्चित रूप से वह कभी भी पत्र को पहुंचा नहीं पाएगा. उसी तरह हम सभी को अपने आत्मविश्वास को प्राप्त करने वाली लड़ाई में अपने लिए छोटी-छोटी कार्ययोजना और उनसे प्राप्त सफलताओं को एकीकृत करना होता है. सतत रूप से किया गया छोटा-छोटा प्रयास, आप को मंजिल तक पहुंचा ही देता है. आखिर पोस्टमैन भी तो पत्र को आपतक पंहुचा ही देता है...भले ही आप से पूरी तरह परिचित ना हो. आपकी सफलता भी अप्रत्याशित रूप से उसी तरह मिल जाती है. मुझे लगता है, जो बात मुझे कहनी थी, उसे मैं सार्थक रूप से कह पाया... और हां मशीनीकरण के इस युग में, जिन लोगों ने भी इस प्रश्न का प्रत्युत्तर दिया.. वे निश्चित रूप से बहुत ही अच्छे हैं।उन सभी को हृदय से प्यार.. आभार..
(आत्मविश्वास प्राप्त करने के बाकी 8 पद किसी अन्य लेख में)
डॉ सत्य प्रकाशवैज्ञानिक, काशी हिंदू विश्वविद्यालय
डॉ सत्या होप टॉक
डॉ सत्या MEET प्रोग्राम
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