बॉलीवुड में फेमिनिज्म की अलंबरदार बनने का राग अलाप रहीं कंगना दिशा सालियान की मौत पर चुप क्यो?
बॉलीवुड में फेमिनिज्म की अलंबरदार बनने का राग अलापने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत दिशा सालियान की मौत पर आखिर चुप क्यों हैं? उनके निशाने पर फिल्म इंडस्ट्री एवं सियासी जगत से जुड़ी महिलाएं ही क्यों? महिला होकर महिलाओं पर उनके द्वारा अमर्यादित भाषा का इस्तेमाल क्यों? इसके पीछे का राज तो वही जाने लेकिन उनकी अमर्यादित टिप्पणियों से नारी जगत में एक बड़ा तबका उनकी मुखालफत में भी है। सोनिया गांधी से लेकर जया बच्चन हो या उर्मिला मांतोडकर सारा अली खान हो,तापसी पन्नू, ऋचा चड्ढा, करीना और स्वरा भास्कर या रिया चक्रवर्ती हर कोई उनके निशाने पर है। सब पर उनके बोल एक जैसे हैं। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को तू-तड़ाक कहने की भाषा से शुरू उनकी बोल धीरे-धीरे बिगड़ती ही गई। बुरा, भला कहने की अपेक्षा मर्यादित भाषा में भी वे अपनी नाराजगी जाहिर कर सकती है,लेकिन उनकी हठ, जिद व अहं सब पर भारी है। लगता है कि अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत को न्याय दिलाने की आवाज उठाने के बहाने वे लोगों से अपनी खुन्नस निकालने पर आमादा हैं। सुशांत की आड़ में वे इंडस्ट्री से जुड़े लोगों से भी अपनी निजी दुश्मनी निकाल रहीं। इन सबके बीच वे अपनी मर्यादा, संस्कार सब ताक पर रख चुकी हैं। कंगना को एक फ़िल्म में झांसी की रानी का किरदार निभाने के कारण कुछ लोगों द्वारा उन्हें झांसी की रानी की उपाधि से नवाजा जा रहा। इस आधार पर महिमा मंडन में जुटे लोग यह भूल रहें हैं कि वह उनका प्रोफेशन है। विलेन का रोल करने वालों का भी वास्तविक जीवन फिल्मों में निभाए गए विलेन के किरदार से इतर होता है। कंगना ने अपनी जुबानी जंग में महिलाओं को भी निशाना बनाया है। अपने ट्विटर हैंडल पर उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी पर निशाना साधा। बतौर कंगना 'दिल्ली के दिल को चीर के वहां इस साल खून बहा है, सोनिया सेना ने मुंबई में आज़ाद कश्मीर के नारे लगवाए, आज आज़ादी की कीमत सिर्फ आवाज है, मुझे अपनी आवाज दो, नहीं तो वो दिन दूर नहीं जब आज़ादी की कीमत सिर्फ और सिर्फ खून होगी।' उर्मिला मातोंडकर ने जब कंगना रनौत को लेकर अपने बयान में कहा कि 'पूरा देश ड्रग्स और नशीली दवाओं के खतरे का सामना कर रहा है। क्या कंगना जानती हैं कि हिमाचल ही ड्रग्स की उत्पत्ति का केंद्र है? उन्हें अपने राज्य से अभियान की शुरुआत करनी चाहिए।' इस इंडस्ट्री में बड़े-बड़े लोग आए और फिल्मों के जरिए देश को नई दिशा दी। राज कपूर और दिलीप कुमार जैसे कई बड़े कलाकारों ने देश के लिए शानदार फिल्में बनाईं।जवाब में कंगना ने उर्मिला को सॉफ्ट पॉर्न फिल्में करने वाली अभिनेत्री बता दिया।कंगना रनौत उर्मिला मातोंडकर द्वारा दिए गए एक इंटरव्यू दौरान उन्हें बीजेपी से टिकट पाने की लालसा में ये सब कर रहीं हैं।इससे भड़की कंगना आग बबूला हो गईं।और कहा कि मेरे लिए टिकट पाना मुश्किल नहीं। टिकट के लिए मुझे अपनी जिंदगी से खेलने और प्रॉपर्टी बर्बाद करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। कंगना यहीं नही रुकी। उर्मिला मातोंडकर को उन्होंने सॉफ्ट पॉर्न स्टार बताते हुए कहा कि उनकी पहचान एक्टिंग के जरिए नहीं,बल्कि सॉफ्ट पॉर्न करने से है। तो अगर उन्हें टिकट मिल सकती है तो मुझे भी टिकट मिल सकती है।अभिनेत्री एवं सांसद जया बच्चन ने फिल्म इंडस्ट्री में ड्रग्स की आड़ में बॉलीवुड को निशाना बनाए जाने को लेकर लग रहे आरोपों को खारिज करते हुए इसे फिल्म इंडस्ट्री को बदनाम करने की साजिश कहा। श्रीमती बच्चन भाजपा सांसद रविकिशन द्वारा इस मसले को लेकर लोकसभा में उठाने के बाद लोकसभा में ही बिना नाम लिए बॉलीवुड से जुड़े लोगों पर निशाना साधते हुए कहा कि लोग जिस थाली में खाते हैं उसी में छेद कर रहें हैं। इससे नाराज हुई कंगना ने सीनियर अदाकारा को व्यंग्यात्मक लहजे में उनकी बेटी श्वेता बच्चन, एवं बेटे अभिषेक बच्चन तक को घसीटा। अपनी भड़ास कुछ यूं निकाली 'कौन सी थाली दी है जया जी और उनकी इंडस्ट्री ने? एक थाली मिली थी जिसमें दो मिनट के रोल आइटम नम्बर्ज़ और एक रोमांटिक सीन मिलता था वो भी हीरो के साथ सोने के बाद, मैंने इस इंडस्ट्री को फेमिनिज्म सीखाया, थाली देश भक्ति नारीप्रधान फ़िल्मों से सजाई, यह मेरी अपनी थाली है जया जी आपकी नहीं। वहीं अभिनेत्री और भाजपा की सांसद हेमा मालिनी इस मामले में समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन के साथ खड़ी दिख रहीं। हेमामालिनी ने कहा कि बॉलीवुड का सम्मान हमेशा ऊंचा रहेगा और कोई भी ड्रग्स या नेपोटिज्म का आरोप लगाकर नीचे नहीं गिरा सकता। मुझे भी मान-सम्मान ,नाम, प्रसिद्धि सबकुछ इसी इंडस्ट्री से मिला है। कंगना के इस आक्रामक रुख से लोगों को लग रहा है कि अभिनेत्री कंगना रनौत सियासतदानों की भाषा बोल रहीं हैं। सियासत में न होकर भी वे सियासी हो चुकी हैं।उनकी ललकार, उनकी बिगड़ी बोल, उनका अंदाज इस बात की गवाही दे रहा है। अब तो वे सुशांत के मुद्दे से सबका ध्यान भटका कर अपने निजी मुद्दों पर बहस को जन्म दे रहीं। उनकी बिगड़ी बोल के पीछे का माजरा क्या है? पर्दे के पीछे इस खेल का असल किरदार कौन है? अब तो उनकी भाषा शैली महिलाओं को भी शर्मसार कर रही। उनका ईगो सिर चढ़कर बोल रहा है। महिला होकर महिलाओं पर भद्दी टिप्पड़ियां करने से उन्हें गुरेज नही।
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