प्रतिदिन हजारों ट्रकों के आवागमन से चार साल में ही क्षतिग्रस्त हो गया है पुल
ट्रकों के आवागमन से सैदपुर घाट से लेकर चन्दौली जिला मुख्यालय तक की सड़कें गड्डों में हो गई हैं तब्दील
वाराणसी, गाज़ीपुर, बलिया, छपरा, बिहार, झारखंड, नेपाल, भूटान आदि के लिए पुल बन गया है सबसे मुफ़ीद मार्ग
रिपोर्ट-राकेश यादव रौशन
चन्दौली और गाज़ीपुर की सीमाओं पर बने रामकरन सेतु की छड़ें दिखने से इस पर से गुजरने वाले यात्री भयाक्रांत हैं। लगभग दो किलोमीटर लंबा बने इस पुल की शुरुआत से आख़िर तक सड़कें टूट गई हैं, जिससे जगह-जगह गड्ढे बन गए हैं और उनमें पड़ी छड़ें बाहर झांकती हुई यात्रियों को मौत का डरावना दृश्य दिखा रही हैं।
मालूम हो कि लंबे समय के इंतजार और जनता की बेहद मांग और तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के भारी दबाव के कारण यह पुल वर्ष 2016 में बनाकर तैयार किया गया और इसी वर्ष नवम्बर माह में आम जनता के आवागमन के लिए खोल दिया गया। इस पुल के बन जाने से वाराणसी, गाज़ीपुर, बलिया, बिहार, झारखंड, नेपाल, भूटान आदि जगहों पर आवागमन में सहूलियत हो गई। अब बिहार, बंगाल, झारखंड आदि प्रान्तों को जाने वाली ट्रकों के लिए सैदपुर घाट स्थित रामकरन सेतु सबसे मुफ़ीद मार्ग साबित हो गया। अब प्रतिदिन हजारों ट्रकें, टैंकर और बोगा ट्राली ट्रैक्टर प्रतिदिन कई लाख टन भार लेकर इस पुल को रौंदते हुए गुजरते हैं। पीडब्ल्यूडी से आरटीआई द्वारा मांगी गई जानकारी में विभाग ने इस बात को स्वीकार किया है कि पुल का मानक भारी वाहनों के आवागमन के अनुकूल नहीं है। यहीं नहीं
सैदपुर घाट वाया चहनियां सकलडीहा चंदौली मार्ग भी भारी वाहनों के चलने के मानक को पूरा नहीं करता है। बावजूद न केवल सड़क पर बल्कि रामकरन सेतु पर भी भारी वाहनों का आवागमन बदस्तूर जारी है। सैदपुर घाट से लेकर चन्दौली और मुगलसराय तक हजारों सरकारी गैर सरकारी विद्यालय संचालित होते हैं। इन विद्यालयों के बच्चे अपनी जान हथेली पर लेकर घर से निकलते हैं और प्रतिदिन घर सकुशल पहुंचने पर एक जंग जीतने जैसा महसूस करते हैं। यहीं हालत कमोवेश इन सड़कों से गुजरने वाले हर आम नागरिक की है। सिंगल रोड पर सैदपुर घाट से चहनियां बाज़ार तक दस किमी. तक का लंबा जाम प्रतिदिन देखा जा सकता है। हालत भयावह तब हो जाती है, जब ट्रकें सड़क के दोनों किनारों पर खड़ी हो जाती हैं, जिससे चार पहिया वाहन तो दूर दो पहिया वाहन स्वामियों को भी अपनी मंजिल पर पहुंचने के लिए संघर्ष करते देखा जाता है। आए दिन एक्सीडेंट होना आम बात हो गई है। जब से ट्रकें चल रहीं हैं, तब से सैकड़ों लोग असमय मौत को गले लगा चुके हैं और बहुतेरे अपाहिज होकर अपनी जिंदगी को कोस रहे हैं। हास्यास्पद स्थिति तो यह भी देखने को मिलती है कि अच्छी सड़क देने का वादा कर माननीय बने जनप्रतिनिधि भी इन्हीं टूटी सड़कों से मजे से गुजरते हैं, लेकिन सड़क और पुलों की मरम्मत या ट्रकों के आवागमन पर रोक लगवाने की जहमत नहीं उठाते। हालात यह हो गए हैं कि सैदपुर घाट से लेकर चन्दौली जिला मुख्यालय तक तीस किलोमीटर की सड़कें गड्डों में तब्दील हो चुकी हैं। ट्रकों की वजह से एक तरफ जहां सड़कों पर दिन भर धूल उड़ती रहती है, जिससे व्यापारियों का व्यापार प्रभावित होता है, वहीं दूसरी तरफ़ ट्रकों के जाम छुड़वाने का अतिरिक्त काम पुलिस विभाग को मिल गया है। जिससे चंदौली पुलिस का मूल काम प्रभावित होता है। अभी कुछ दिनों पूर्व ही मझिलेपुर गांव के पास सड़क टूटकर झील बन गई थी, जिससे सभी तरह के वाहनों का आवागमन बंद हो गया और वाहनों की लंबी लाइनें लग गई, तब चौकी प्रभारी मारूफपुर प्रशांत कुमार सिंह द्वारा अपने निजी ख़र्च से गड्डों में ईंटें भरवाकर आवागमन शुरू करवाया गया था। आए दिन ऐसी स्थिति बनी रहती है। क्षेत्रीय नागरिकों द्वारा बार-बार इसके प्रति जनप्रतिनिधियों और प्रशासन का ध्यान इस समस्या की तरफ आकृष्ट कराया गया, लेकिन कोई असर नहीं हुआ। चहनियां सेक्टर नंबर एक के जिला पंचायत प्रत्याशी बीएल यादव फ़ौजी, सैयद सरफ़राज़ पहलवान, डॉ. राजेश निषाद, जनाब शौक़त अली, सूर्यनाथ प्रधान, राकेश प्रधान, रामअवध यादव प्रधानपति, सर्वेश कुमार्ज़ बुल्लू यादव, गुड्डू यादव, प्रशांत पांडेय, पूर्वांचल युवा शक्ति के प्रदेश अध्यक्ष धर्मेंद्र यादव, समाजसेवी आरबी यादव, डॉ. धर्मराज यादव, सत्यप्रकाश यादव पुत्तुल, सुरेंद्र प्रधान नागेपुर, जोखू सिद्दीकी, चहनियां सेक्टर तीन के जिला पंचायत प्रत्याशी अखिलेश अग्रहरि आदि नागरिकों ने जनहित में सड़क और रामकरन सेतु को अविलम्ब ठीक कराने की मांग की है।
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