चंदौली जनपद में 10 अक्टूबर से राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के तहत मानसिक स्वास्थ्य जागरूकता सप्ताह 16 अक्टूबर तक मनाया गया | इस सप्ताह जनमानस को जागरूक करने के लिए गोष्ठी समेत विभिन्न गतिविधियां आयोजित की गईं जिसमें करीब ढाई हजार से ज्यादा लोगों को जागरूक किया गया | जिला मनोचिकित्सक डॉ नितीश कुमार सिंह ने बताया कि पंडित कमलापति त्रिपाठी पीजी कॉलेज सहित ग्रामीण क्षेत्रों के समस्त सीएचसी व पीएचसी पर नि:शुल्क मानसिक स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया । शिविर का उद्देश्य ज्यादा से ज्यादा लोगों को मानसिक बीमारियों, लक्षण और इलाज के साथ जागरूक किया जाना था । डॉ नितीश ने बताया कि जिला मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम की टीम द्वारा पंडित कमलापति त्रिपाठी पीजी कॉलेज में मानसिक रोग एवं उनके प्रति स्वास्थ्य जागरूकता कार्यक्रम पर एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें बच्चों एवं शिक्षकों के बीच मानसिक स्वास्थ्य के बारे में जागरूक किया गया | संगोष्ठी में बताया गया कि भेदभाव की भावना नहीं करनी चाहिए | अंधविश्वास से दूर रहना चाहिए | कोई व्यक्ति को तनाव, नींद न आने की समस्या, घबराहट, काम में मन न लगना, नशे की लत लगना, मानसिक मंदता, मिर्गी, सिरदर्द आदि लक्षणों के बारे चर्चा की गई | किसी भी तरह के लक्षण दिखने पर मन कक्ष कमरा नंबर 40 में सोमवार, बुधवार व शुक्रवार को निःशुल्क इलाज करा सकते हैं। हेल्पलाइन नंबर 7565802028 पर भी संपर्क कर काउंसलिंग किया जा सकता है।क्लिनिकलसाइकोलॉजिस्ट अजय कुमार ने बताया कि किशोरावस्था के प्रारंभिक वर्ष जीवन का एक ऐसा समय आता है जब कई परिवर्तन होते हैं और कुछ मामलों में यह भावनाएं मानसिक बीमारी का कारण बन सकती है | यह 14 साल की उम्र से शुरू होता है | लेकिन ज्यादातर मामलों का पता नहीं चल पाता और इलाज नहीं होता है | किशोरों व नौजवानों में मानसिक बीमारी का एक प्रमुख कारण अवसाद (डिप्रेशन) है जिसमें 15 से 29 साल के बच्चों में मौत का दूसरा प्रमुख कारण आत्महत्या है | कोविड-19 ने कही न कही सभी को मानसिक तौर पर प्रभावित किया है जिसमें कितने ही लोगों ने अपनों को खोया व लोगों को सामाजिक मानसिक आर्थिक हानि का सामना करना पड़ा | इसका मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ा है और अभी भी कुछ लोग इससे उभरे नहीं हैं। मानसिक बीमारी के लक्षण एवं पहचान एवं जानकारी न होने के कारण एवं सामाजिक अंधविश्वास, झाड़-फूंक के चक्कर में मानसिक बीमारियां अपना प्रभाव डालती हैं जिसके कारण व्यक्ति समाज एवं परिवार से बहिष्कृत होने से उसका इलाज नहीं हो पाता है।साईकियाट्रिक सोशल वर्कर डॉ अवधेश कुमार ने कहा कि कार्यक्रम के दौरान लोग को बीमारियों के प्रति जागरूक किया गया जिससे वह समय रहते इलाज करवा सके | नियमित दवा का सेवन और डॉक्टर की निगरानी में मरीज पूरी तरह ठीक हो जाता है।लक्षण - नींद न आना या देर तक जागना , भूख न लगना , उलझन, घबराहट, बार-बार आत्महत्या का विचार आना, लोगों से दूरी बनाना, शांत और अकेले रहना, चिड़चिड़ापन आदि कई प्रकार की समस्या होती हैं।बरतें सावधानी- तनाव मुक्त रहने के लिए परिवार या दोस्त के साथ दिल की बाते साझा करें | पर्याप्त नींद लेनी चाहिए, बेवजह रात को न जागे | पौष्टिक आहार लें व नियमित व्यायाम करें | नशीली पदार्थ से दूरी बनाए | समस्या के निदान के लिए नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र पर जायें और नि:शुल्क परामर्श एवं उपचार प्राप्त करें |
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