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Tuesday, November 8, 2022

ईश्वर का प्राकट्य ही उत्सव है - अखिलानन्द

चन्दौली डीडीयू नगर। स्थानीय शाह कुटी श्रीकालीमंदिर स्थित अन्नपूर्णा वाटिका प्रांगण मे चल रहे सात दिवसीय संगीतमय श्रीमद् भागवत् कथा ज्ञान यज्ञ के पंचम दिवस पर भगवान का जन्मोत्सव मनाया  गया। व्यास पीठ से श्रीमद् भागवत् व श्री मानस मर्मज्ञ  श्री अखिलानन्द जी महाराज ने अपने वक्तव्य मे कहा कि भगवान जब नन्दबाबा के यहां गोकुल मे आए तब समस्त गोकुलवासी आनन्दित हो उठे और ऐसे आनन्दित हुए कि वह उत्सव मे परिवर्तित हो गया।उत्सव का अर्थ बताते हुए कहा कि उत् अर्थात ईश्वर सव् अर्थात  प्राकट्य । ईश्वर का प्राकट्य ही उत्सव है। जीवन मे हम कोई भी उत्सव मनाएं उसमे ईश्वर का प्रकटीकरण अवश्य होना चाहिए।तभी जा कर वह आयोजन उत्सव मे बदलता है इसलिए किसी भी कार्यक्रम मे ईश्वर का  सानिध्य होना परम आवश्यक है। आज के भौतिक युग मे लोग उत्सव को केवल मनोरंजन का साधन बना दिये हैं जो उत्सव का स्वरूप नही कहा जा सकता। नंद बाबा और यशोदा मैया का जीवन शास्त्र सम्मत था इसलिए भगवान कृष्ण का जन्म तो कंस के कारागृह में वसुदेव जी एवं देवकी मैया के यहाँ होता है लेकिन भगवान का पालन यशोदा व नन्द बाबा के सानिध्य मे होता है। यशो ददाति इति यशोदा अर्थात जो सभी को यश प्रदान करती है वही यशोदा है। नन्द का आशय आनन्द से है जो सभी को जीवन मे आनन्द की प्रप्ति कराता हो वही नन्द है और उसी के घर परमानन्द का प्रवेश होता है। भगवान की बाल लीला को बताते हुए कहा कि नन्दोत्सव मे सभी नन्दबाबा के यहा बधाई लेकर आती है उसी समय पूतना राक्षसी सुंदर वेश धारण कर भगवान को मारने आती है लेकिन भगवान ने उसे सायुज्य मुक्ति प्रदान की। भगवान दयालु हैं। पूतना जैसी राक्षसी को भी उत्तम गति प्रदान करना ही उनकी दयालुता का परिचायक है। शक्तासुर तृणावर्त और यमलार्जुन का इसी प्रकार भगवान ने विभिन्न लीलाओं  के माध्यम से श्रापमुक्त कर मुक्ति प्रदान की। मौके पर पी एन सिंह, उपेन्द्र सिंह,बृजेश सिंह संजय अग्रवाल, अतुल दूबे संतोष शर्मा, संजय तिवारी, कन्हैयालाल जायसवाल, त्रिभुवन उपाध्याय, रेखा अग्रवाल, संतोष पाठक,आलोक पांडेय वैभव तिवारी, भागवत नारायण चौरसिया,श्रीकांत सिंह आदि मौजूद रहे। मुख्य यजमान शैलेश तिवारी, ममता तिवारी यज्ञनारायण सिंह पूनम सिंह रहे। आज की कथा मे विशेष अतिथि के रूप मे मझवां विधायक डा विनोद बिंद, बीडीसी शशिशंकर सिंह आदि को व्यासपीठ से दुपट्टा प्रदान कर आशिर्वाद प्रदान किया गया।



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