रिपोर्ट -त्रिपुरारी यादव
वाराणसी। पूर्वांचल के किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ) को सशक्त बनाने एवं उन्हें आधुनिक कृषि तंत्र से जोड़ने के उद्देश्य से कृषि विभाग एवं तकनीकी सहयोग इकाई बिल एंड मेलिंडा गेट्स फाउंडेशन के संयुक्त तत्वावधान में काशी विद्यापीठ ब्लाक क्षेत्र के टिकरी स्थित कृषक उत्पादक संगठन एवं औद्यानिक विपणन सहकारी समिति लिमिटेड के परिसर में गुरुवार को एक दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।कार्यक्रम की अध्यक्षता अनिल सिंह संचालन व धन्यवाद ज्ञापन इंजीनियर अमित सिंह ने किया।कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए टीएसयू बीएमजीएफ के निदेशक नीरज सुब्रत ने कहा कि “एफपीओ की पारिस्थिति को मजबूत करने के लिए बहुस्तरीय साझेदारियों की जरूरत है जिसमें बीज से बाजार और वित्त तक का एक समग्र दृष्टिकोण अपनाया जाए।उन्होंने कहा कि हालांकि निदेशालय ने उल्लेखनीय प्रयास किए हैं, लेकिन एफपीओ को उनके विकास के अगले जैविक चरण तक पहुँचाने के लिए केंद्रित प्रयासों और साझेदारियों की नितांत आवश्यकता है। इन साझेदारियों में बीज से लेकर बाजार और वित्त तक एक समग्र दृष्टिकोण अपनाना होगा।फ्लिपकार्ट समूह की ओर से आए रणनीतिक कार्यक्रम प्रमुख गिरीश नायर ने एफपीओ से जुड़ने की संभावनाओं पर प्रकाश डालते हुए बताया कि “यदि एफपीओ अपने उत्पादों को निश्चित गुणवत्ता मानकों के अनुरूप रखें तो वे सीधे ई-कॉमर्स प्लेटफॉर्म से जुड़ सकते हैं।” उन्होंने स्पष्ट किया कि फ्लिपकार्ट जैसे मंच छोटे किसानों को बड़ा बाजार और बेहतर मूल्य उपलब्ध कराने में सहायक बन सकते हैं।नेशनल सीड्स कॉरपोरेशन के प्रतिनिधि डॉ. योगेन्द्र यादव ने एफपीओ के लिए बीज डीलरशिप, एमओयू प्रक्रिया, और उत्पादन प्रोत्साहन पर जानकारी देते हुए कहा कि “एफपीओ के माध्यम से बीज उत्पादन स्थानीय स्तर पर गुणवत्ता सुनिश्चित करेगा और समय पर आपूर्ति संभव होगी।नाबकिसन से आए राज शेखर ने एफपीओ के लिए ऋण प्रक्रिया, दस्तावेज़ीकरण, और पात्रता मापदंडों पर प्रकाश डाला।डॉ. आशीष, स्टेट एग्रीकल्चर मार्केटिंग इंस्पेक्टर ने एफपीओ के सतत विकास हेतु विपरण विभाग द्वारा किये जा रहे प्रयास जैसे की एफजीएमआरआई (एफपीओ एक्सपोर्ट एंड मार्केट रेडीनेस इंडेक्स टूल), निर्यात नीति, मूल्य श्रृंखला को जोड़ने और प्रबंधन क्षमता के विकास पर बल दिया।एफपीओ आज के दौर में भारतीय कृषि की रीढ़ बनने की क्षमता रखते हैं।
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