चकिया चन्दौली सीलिंग प्रक्रिया के तहत अतिरिक्त घोषित बैराठ फॉर्म की भूमि पर पहले से बसे तथा खेती करते आ रहे लोगों को उनकी जमीन का कागज देकर मालिकाना हक दिए जाने तथा खाली पड़ी जमीन को इलाके के गरीबों,बनवासियों, भूमिहीनों में वितरित कर मालिकाना हक दिए जाने के सवाल पर भाकपा(माले) के नेतृत्व में चल रहे अनिश्चितकालीन धरने के दौरान पिछले दिनों 19 अगस्त को भाकपा(माले) द्वारा प्रतिवाद मार्च किया गया था,जिस दौरान उपजिलाअधिकारी चकिया द्वारा वार्ता की तिथि प्रस्तावित की गई थी। वार्ता में आंदोलनकारियों से उक्त सीलिंग से फाजिल जमीन को राजा बनारस के प्रतिनिधियों की तरफ से अपनी भूमि बताते हुए बटाई के रूप में खेती करने का प्रस्ताव आया जिसे आंदोलनकारियों ने खारिज कर दिया और वार्ता असफल रही। उक्त बातें भाकपा(माले) राज्य स्थाई समिति सदस्य,चंदौली जिला सचिव कामरेड अनिल पासवान ने प्रेस को जारी एक बयान में कही। वार्ता में शामिल भाकपा(माले) राज्य कमेटी सदस्य तथा चकिया तहसील प्रभारी कामरेड विजई राम ने सवाल करते हुए कहा की सीलिंग प्रक्रिया के तहत अतिरिक्त घोषित होने के बाद 2018 में उस जमीन पर राजा के पक्ष में कैसे फैसला आया।उन्होंने आगे कहा कि इसमें जिला प्रशासन की पैरवी कमजोर रही है जिससे इलाके के गरीबों और भूमिहीनों के साथ अन्याय हुआ है,हमारी लड़ाई इस बात की है कि जिला प्रशासन अपनी जमीन को बचाने के लिए हाई कोर्ट में हुए फैसले के खिलाफ रिट फाइल क्यों नहीं करता,हमारी लड़ाई उक्त जमीन पर इलाके के गरीबों,बनवासियों,भूमिहीनों को मालिकाना हक के लिए है जो जारी रहेगी।वार्ता में भाकपा(माले) जिला सचिव अनिल पासवान,विजई राम,राम वचन वनवासी,सुरेश राम,विष्णु बनवास, किशन बनवासी,लुटावन राम,प्रेम नाथ यादव,बादु चौहान सहित तमाम लोग शामिल रहे।
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