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Wednesday, January 20, 2021

उपन्यास ‘धनंजय’ का हुआ अंतरराष्ट्रीय लोकार्पण, डॉ सत्य प्रकाश की कविता "हे मनीषी! हुई पुरस्कृत

 

वाराणसी सिंगापुर की कविताई, भारत का सोपान और अमरीका की झिलमिल संस्थाओं के तत्वावधान में १६ जनवरी को एक भव्य ऑनलाइन कार्यक्रम में प्रताप नारायण सिंह के लोकप्रिय उपन्यास ‘धनंजय’ का अंतरराष्ट्रीय लोकार्पण हुआ। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि संस्कृत और हिन्दी साहित्य के प्रखर ज्ञाता एम्बेसडर अखिलेश मिश्र जी थे जो विदेश मंत्रालय, भारत सरकार में अपर सचिव हैं। इस कार्यक्रम में ‘धनंजय अंतरराष्ट्रीय कविता प्रतियोगिता’ के परिणाम भी बताए गए और विजेता कवियों ने कविता पाठ किया। कार्यक्रम का संयोजन और संचालन कविताई से शार्दुला नोगजा ने किया। कार्यक्रम के मुख्य सत्र थे- एम्बेसडर अखिलेश मिश्र का धनंजय पर मन्त्रमुग्ध कर देने वाला गहन व्याख्यान, जिसमें उन्होंने आज के संदर्भ में धनंजय उपन्यास की महत्ता पर विस्तृत रूप से प्रकाश डाला। अखिलेश जी ने कहा- यह उपन्यास अपने पात्रों के माध्यम से वर्तमान से भी जुड़ता है और अपना संदेश देता है। उन्होंने विभिन्न पात्रों के संवादों के माध्यम से उपन्यास की प्रासंगिकता को बहुत ही प्रभावशाली ढंग से रेखांकित किया। 

विश्व हिंदी सम्मान से भारत सरकार द्वारा सम्मानित श्री अनूप भार्गव जी ने अर्जुन और महादेव के बीच हुए युद्ध के प्रसंग का  जीवंत पाठ किया और प्रेमचंद सम्मान से सम्मानित वरिष्ठ उपन्यास लेखिका डॉ. प्रणव भारती ने पुस्तक की समीक्षा के साथ-साथ उपन्यास लेखन में ध्यान देने वाली बातों पर भी प्रकाश डाला।  लेखक और कविता प्रतियोगिता परिचय सोपान के राजीव नसीब ने दिया और तीनों निर्णायकगण  - अमरीका से राकेश खण्डेलवाल, भारत से विजय स्वर्णकार और सिंगापुर से श्रद्धा जैन ने प्रतियोगिता परिणाम और काव्यात्मक आशीष प्रेषित किया।प्रथम स्थान पर  रू. ५१००/- का पुरस्कार मिला जानी-मानी ग़ज़लगो दीपशिखा सागर जी को, द्वितीय पुरस्कार उड़ीसा की सोनेट लेखिका अनिमा दास जी को मिला और तृतीय पुरस्कार सुविख्यात सोनेट लेखक विनीत मोहन औदिच्य जी को प्रदान किया गया। उत्तम सृजन पुरस्कार- स्वरांगी साने, सुषमा श्रीवास्तव, डॉ. सत्यप्रकाश पाण्डेय, सुलेखा झा, प्रकाशचंद्र त्रिपाठी को प्रदान किया गया।सबने समवेत स्वर में कहा कि ‘धनंजय’ सिर्फ़ पठनीय ही नहीं वरन संग्रहणीय उपन्यास है।



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