रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव
वाराणसी रोहनिया- आराजी लाइन ब्लॉक मुख्यालय स्थित सभागार में शनिवार को आचार्य नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कुमारगंज अयोध्या द्वारा संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, द्वारा इन - सीटू फसल अवशेष प्रबंधन परियोजना के अंतर्गत विकास खंड स्तरीय जागरुकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया।कार्यक्रम में मुख्य अतिथि डॉ महेंद्र सिंह पटेल तथा केंद्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं अध्यक्ष ड़ॉ. नरेंद्र रघुबंशी ने फ़सल अवशेष जलाने से होने वाले नुक़सान जैसे कि मृदा, पानी तथा हवा द्वारा प्रदूषण से होने वाले दुष्प्रभाव पर विस्तार से किसानों को जानकारी दी। बताया कि एक टन धान का पुवाल जलाने से 5 किलोग्राम नाइट्रोजन, 3 किलोग्राम फोस्फोरस, 25 किलोग्राम पोटेशियम तथा 2 किलोग्राम सलफर जल कर राख हो जाता है।इससे बचने के लिए क़ृषि में मशीनों जैसे कि मल्चर, रोटावेटर, सुपर सीडर तथा हैप्पी सीडर का प्रयोग करके पराली का प्रबंधन आसानी से किया जा सकता है।इसी प्रकार खेत में पराली के ऊपर पूसा वेस्ट डीकमपोज़र का प्रयोग करके 30 से 35 दिन में सड़कर गल जाता है और इसको मिट्टी में मिलाकर मिट्टी की उर्वरा शक्ति बढ़ जाती है।कार्यक्रम में वैज्ञानिक डॉ. अमितेश कुमार,वैज्ञानिक श्रीप्रकाश सिंह,डॉक्टर मनीष पाण्डेय,ड़ॉ राहुल कुमार सिंह उपस्थित रहे।
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