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Sunday, November 20, 2022

समाज में समरसता की स्थापना अगर करना है तो वह रामचरितमानस के माध्यम से ही की जा सकती है-रामनुजार्च श्री हरिहरानन्द प्रपनाचार्य

रिपोर्ट-त्रिपुरारी यादव

वाराणसी रोहनिया-भदरासी गांव में  देवनाथ उपाध्याय स्मृति संस्थान की ओर से आयोजित नौ दिवसीय श्री राम कथा के दौरान प्रयागराज से पधारे रामनुजार्च श्री हरिहरानन्द प्रपनाचार्य ने कहाकि समाज में समरसता की स्थापना अगर करना है तो वह रामचरितमानस के माध्यम से ही की जा सकती है, प्रभु श्री राम ने सामाजिक समरसता के लिए केवट निषाद राज शवरी के जूठे बेर खाकर यह संदेश दिया कि समाज में सभी एक बराबर है कोई ऊंच-नीच नहीं है। हम अपने धर्म ग्रंथों के बताए गए मार्गों पर चल कर समाज में सामाजिक समरसता शांति व्यवस्था मानवता नैतिकता चरित्र का मानदंड स्थापित कर समाज को एक नया रूप देने का काम कर सकते है । यह तभी संभव है जब हम अपने धर्म ग्रंथों का अध्ययन करें उनके बताए मार्गों पर चलें और सत्संग करें सत्संग के माध्यम से ही समाज में फैली तमाम कुरीतियों अनैतिकताओं को दूर किया जा सकता है, यह तभी संभव है जब हम सत्संग करेंगे, महात्माओं के बताए गए मार्गों पर चलकर उनका अनुसरण करेंगे तभी हमारे जीवन में धन्यता आएगी। प्रभु के नाम स्मरण से ही मनुष्य को परम सौभाग्य की प्राप्ति होती है और उसका लोक परलोक दोनों सवर जाता है। कथा के उपरांत संयोजक चंचला उपाध्याय ने श्रोताओं के प्रति आभार व्यक्त किया ।



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