लखनऊ। बिजली अभियंताओं और कर्मचारियों की मेहनत आखिर रंग लाई। उनकी एकजुटता के आगे सरकार को झुकना पड़ा। गुरुवार को सरकार ने 5 शहरों और 7 जनपदों की बिजली निजी हाथों में सौंपने का फैसला वापस ले लिया। सरकार ने किसी भी तरह का कोई निजीकरण न करने का बिजली विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को लिखित आश्वासन दिया है। सरकार के बकफुट पर आते ही बिजली विभाग के अभियंताओं और कर्मचारियों में खुशी का माहौल पैदा हो गया। प्रदेश के ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा, पावर कारपोरेशन के चेयरमैन और प्रमुख सचिव, ऊर्जा आलोक कुमार, पावर कारपोरेशन की प्रबंध निदेशक अरुणा यू और विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति के संयोजक शैलेंद्र दुबे समेत प्रतिनिधिमंडल के मध्य गुरुवार को काफी देर तक निजीकरण के मुद्दे पर मंथन हुआ। दोनों पक्षों ने निजीकरण के फायदे और नुकसान पर अपनी-अपनी राय व्यक्त की। बिजली संगठन के प्रतिनिधियों के आगे सरकार के सभी बिंदु बेकार साबित हुए और आखिरकार सरकार को निजीकरण के फैसले पर बैकफुट पर जाना पड़ गया। ऊर्जा मंत्री श्रीकांत शर्मा ने प्रतिनिधिमंडल को लिखित तौर पर आश्वासन दिया कि 5 शहरों और 7 जनपदों समेत प्रदेश के किसी भी जनपद का निजीकरण नहीं होगा। टेंडर प्रक्रिया को निरस्त किया जाता है। हालांकि उन्होंने यह जरूर कहा कि एक समिति बनाकर विभाग के राजस्व को बढ़ाने में सहायता ली जाएगी, जिस पर प्रतिनिधिमंडल ने सहमति जताई। दोनों पक्षों के बीच सहमति बनने के बाद विद्युत कर्मचारी संघर्ष समिति ने आंदोलन का फैसला वापस ले लिया है।
निजीकरण का फैसला प्रदेश सरकार द्वारा वापस लिए जाने पर विद्युत कर्मचारी संयुक्त संघर्ष समिति गाजीपुर के संयोजक निर्भय नारायण सिंह ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि यह जीत विद्युत कर्मियों की एकजुटता की जीत है। उन्होंने कहा कि निजीकरण किए जाने के बाद आम गरीब बिजली की महंगी दरों के कारण विद्युत सुविधा से वंचित हो जाता। निजीकरण का फैसला वापस लिया जाना कर्मचारी अधिकारी ही नहीं बल्कि आम जनता और किसान तथा व्यापारियों के हित में है। ज्ञात हो कि पिछले 17-18 दिनों से निर्भय नारायण सिंह के नेतृत्व में गाजीपुर के विद्युतकर्मी आंदोलित रहे और निजीकरण के विरोध में जमकर लगातार प्रदर्शन कर रहे थे। सूत्रों के अनुसार शुक्रवार को पूर्व निर्धारित बाइक जुलूस अब फैसला वापस लिए जाने के बाद विजय जुलूस के रुप में निकाला जाएगा, जिसमें भारी संख्या में विद्युत कर्मियों की मौजूदगी का अनुमान लगाया जा रहा है। फिलहाल निजीकरण का फैसला वापस लिए जाने के बाद जिले के विद्युत कर्मी भी काफी उत्साहित नजर आ रहे हैं।

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