विशेषज्ञ चिकित्सकों की निगरानी में कराया जाता है सुरक्षित प्रसव
चंदौली सुरक्षित प्रसव के लिए संस्थागत प्रसव जरूरी है। संस्थागत प्रसव अस्पताल में प्रशिक्षित और सक्षम स्वास्थ्य कर्मियों की देख-रेख में कराया जाता है। अस्पतालों में मातृ एवं शिशु सुरक्षा के लिए भी सारी सुविधाएं उपलब्ध रहती हैं। लिहाजा जच्चा-बच्चा के हित में संस्थागत प्रसव ही कराना चहिये। यह कहना है मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ वाई के राय का।सीएमओ ने बताया कि मातृत्व स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने के लिए सरकार और स्वास्थ्य विभाग का पूरा जोर है। इसके तहत हर जरूरी बिन्दुओं का खास ख्याल रखते हुए जच्चा-बच्चा को सुरक्षित बनाने की हर संभव कोशिश की जा रही है। इससे मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को न्यूनतम स्तर पर लाने में मदद मिलेगी। समुदाय में इस बारे में पर्याप्त जागरूकता लाने और इसके लिए मौजूद हर सुविधाओं का लाभ उठाने के लिए हर महीने की नौ तारीख को प्रधानमंत्री सुरक्षित मातृत्व दिवस मनाया जाता है। इसके तहत गर्भवती की प्रसव पूर्व मुफ्त जांच के लिए चिकित्सालय पर विशेष आयोजन किया जाता है। जहां गर्भवती की सम्पूर्ण जांच नि:शुल्क की जाती है। गर्भवती के जटिल मामलों को चिन्हित कर उस पर खास नजर रखी जाती है।पंडित दीनदयाल उपाध्याय (डीडीयू) राजकीय महिला चिकित्सालय में पूजा 27 वर्षीय को 12 जुलाई सुबह 5:38 पर प्रसव हुआ | पूजा ने बताया कि आशा कार्यकर्ता की मदद से मेरे घर वाले राजकीय महिला चिकित्सालय अगर न लाये होते तो मेरा सुरक्षित प्रसव न हो पाता और शायद जच्चा-बच्चा के जीवन को भी संकट हो जाता | क्योंकि मै उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) की स्थिति में थीं | 8 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन था | विशेषज्ञ डॉक्टर और स्टाफ कर्मियों ने बहुत ही सूझबुझ से हमारा सुरक्षित प्रसव कराया गया | जिससे आज हम और बच्चा दोनों ही ठीक है |अंजनी 23 वर्षीय को 16 जुलाई सुबह 6 बजे प्रसव हुआ| अंजनी ने बताया कि कहा कि उच्च जोखिम गर्भावस्था (एचआरपी) गर्भावस्था की उसे जानकारी नहीं थी | प्रसव पीड़ा हुई,तब आशा कार्यकर्ता को लेकर जिला महिला अस्पताल गईं, जहां जांच के बाद पता चला कि 8 ग्राम से भी कम हीमोग्लोबिन था | मेरा पूरा महिना था, असहनीय प्रसव पीड़ा हो रही थी | महिला डॉक्टर आई, उन्होने कहा घबराओ मत,हिम्मत रखों ,तुम्हें कुछ नहीं होगा | डॉक्टर के इस हिम्मत के बाद थोड़ी राहत मिली | मेरा सुरक्षित प्रसव हुआ | दो दिन तक बच्चे को न्यू बोर्न स्टेबलाइजेशन यूनिट (एनबीएसयू) में रखा गया। स्वस्थ होने के बाद मैं और बच्चा घर आई, अब दोनों बिलकुल स्वस्थ हैं |राजकीय महिला चिकित्सालय स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉ महिमा नाथ ने बताया कि चिकित्सालय में जनवरी 2022 से अब तक 488 कराये गए समान्य प्रसव एवं 130 उच्च जोखिम के प्रसव | सुरक्षित प्रसव के लिए गर्भ का पता चलते ही गर्भवती का स्वास्थ्य केंद्र पर पंजीकरण कराने के साथ ही इस दौरान बरती जाने वाली जरूरी सावधानियों के बारे में जागरूक किया जाता है | इसके साथ ही प्रसव पूर्व जरूरी जांच चिकित्सालय में निशुल्क उपलब्ध है | संस्थागत प्रसव में समय से घर से अस्पताल पहुंचाने और अस्पताल से घर पहुंचाने के लिए एंबुलेंस की सेवा भी उपलब्ध है | डॉ. महिमा ने कहा कि इसके साथ ही गर्भवती खानपान का खास ख्याल रखने और खाने में हरी साग-सब्जी, फल आदि का ज्यादा इस्तेमाल करने कि जानकारी | आयरन और कैल्शियम की निशुल्क गोलियों दी जाती है | प्रसव का समय नजदीक आने पर सुरक्षित प्रसव के लिए पहले से ही निकटतम अस्पताल का चयन कर लेना चाहिए और मातृ-शिशु सुरक्षा कार्ड, जरूरी कपड़े और एंबुलेंस का नंबर याद रखना चाहिए | प्रसव पीड़ा में समय का प्रबंधन भी अहम होता है, क्योंकि एंबुलेंस को सूचित करने में, विलंब करने और अस्पताल पहुंचने में देरी से जच्चा- बच्चा कि जान का खतरा बढ़ सकता है |
जटिलता वाली गर्भवती
(एचआरपी) की पहचान -
दो या उससे अधिक बार बच्चा गिर गया हो या एबार्शन हुआ हो |बच्चे की पेट में मृत्यु हो गयी हो या पैदा होते ही मृत्यु हो गई हो |कोई विकृति वाला बच्चा पैदा हुआ हो | प्रसव के दौरान या बाद में अत्यधिक रक्त स्राव हुआ हो | पहला प्रसव बड़े आपरेशन से हुआ हो | गर्भवती को पहले से कोई बीमारी हो |हाई ब्लड प्रेशर (उच्च रक्तचाप) या मधुमेह (डायबिटीज) | दिल की या गुर्दे की बीमारी, टीबी या मिर्गी की बीमारी | पीलिया, लीवर की बीमारी या हाईपो थायराइड | वर्तमान गर्भावस्था में यह दिक्कत तो नहीं | गंभीर एनीमिया- 7 ग्राम से कम हीमोग्लोबिन | ब्लड प्रेशर 140/90 से अधिक | गर्भ में आड़ा/तिरछा या उल्टा बच्चा |चौथे महीने के बाद खून जाना ।गर्भावस्था में डायबिटीज का पता चलना | एचआईवी या किसी अन्य बीमारी से ग्रसित होना।
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