गाजीपुर: नंदगंज-सिहोरी शुगर कंपनी प्रा. लिमिटेड की स्थापना सन् 1975 में हुई थी लेकिन डेढ़ दशक में ही सियासत की भेंट चढ़ गई। कुप्रबंधन व दोषपूर्ण नीतियों के चलते चीनी मिल को 1999 मेंं बंद कर दिया गया। मिल को चालू करने के कई प्रयास किए गए लेकिन जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते मिल को अभी तक चालू नहीं कराया जा सका। अफसोस की बात है कि पिछले विधानसभा चुनाव में शहीद स्मारक इंटर कालेज के मैदान में वर्तमान विधायक के समर्थन में हुई रैली में नंदगंज की चीनी मिल के स्थान पर अन्य उद्योग लगवाने का वर्तमान सांसद ने मतदाताओं को भरोसा दिलाया था। मिल चालू रहने पर जिले में 10 हजार हेक्टेयर भूमि पर गन्ने की खेती होती थी। बाराचंवर, मरदह, औडि़हार, भीमापार सहित जिले के अन्य हिस्सों से यहाँ गन्ना आता था। मिल में करीब 1200 कर्मचारी कार्य करते थे। मिल के चलने से जिले के लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार में लाभ होता था और सरकार को करोड़ों रुपये का राजस्व भी प्राप्त होता था। यह मिल सन् 1990 तक काफी लाभ में रही। तत्कालीन निदेशक टीएन कौशिक के कार्यकाल में मिल ने रिकार्ड तोड़ चीनी का उत्पादन किया। उस समय करीब एक लाख बोरी चीनी का उत्पादन किया गया था। कुप्रबंधक और लूट खसोट के चलते यह मिल 1991 से घाटे में जाने लगी। इसके बाद मिल पर करोड़ों रुपये की देनदारी हो गई किसी तरह 1999 तक मिल को चलाया गया। जब घाटा अधिक बढ़ा तो मिल को बंद करके सभी श्रमिकों को जबरन वीआरएस थमा दिया गया। क्षेत्र की जनता ने संचार व रेल राज्य मंत्री से मांग किया कि मिल को पुन: पूरी क्षमता के साथ चलाया जाए तो क्षेत्र के अच्छे दिन आ सकते हैं। प्रो. केएन सिंह, पूर्व विधायक राजेंद्र यादव और जयराम सिंह के नेतृत्व में आंदोलन भी हुआ लेकिन शासन ने सिर्फ आश्वासन के अलावा कुछ नहीं दिया। यही वजह रही कि इस समय जिले में गन्ना का रकबा सिमट कर एक हजार हेक्टेयर से भी कम हो गया है। जीत हासिल करने के बाद सदर विधायक संगीता बलवंत ने नंदगंज सिहोरी शुगर कंपनी को पुनः चालू कराने या अन्य फैक्टरी लगवाने के संदर्भ में कोई कार्य नहीं किया है।
रिपोर्ट: विवेक सिंह
रिपोर्ट: विवेक सिंह
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