प्रेस की आजादी को छीना नही जा सकता है: न्यायमूर्ति डीपी सिंह - जनसच न्यूज़

Breaking

नमस्ते जन सच न्यूज़ में आपका स्वागत है , जन सच तक अपनी बात jansach20@gmail.com के माध्यम से पहुचायें |

Post Top Ad

Post Top Ad

Sunday, December 6, 2020

प्रेस की आजादी को छीना नही जा सकता है: न्यायमूर्ति डीपी सिंह

            

रिपोर्ट-संतोष यादव

अयोध्या/सुलतानपुर। जनमोर्चा अखबार के 63वें स्थापना दिवस पर अयोध्या प्रेस क्लब में "पत्रकारिता पर बढ़ता संकट " विषयक संगोष्ठी में न्यायमूर्ति डीपी सिंह ने कहा कि निर्भीक न्यायपालिका और निर्भीक प्रेस जब साथ होते हैं तो प्रजातंत्र मजबूत और पुष्पित-पल्लवित होता है। उन्होंने कहा कि प्रेस की आजादी को छीना नही जा सकता है। वकालत, प्रेस, किसान स्वतंत्रता के स्तंभ हैं। मीडिया को दबाव में नही  आना चाहिए।  कहा कि मीडिया सरकार से अपेक्षा करेगी तो सरकार भी कुछ चाहेगी। कुछ देशों में पत्रकारिता जगत की घटनाओं का ज़िक्रकरते हुए श्री सिंह ने कहा कि जहाँ सत्ता का दुरुपयोग  किया जाता है, वहाँ पत्रकारों पर हमले ज्यादा होते हैं।न्यायपालिका पर हो रहे कटाक्षों पर पलटवार करते हुए उन्होंने कहा कि न्यायपालिका न हो तो हम आप जो बोल रहे वह भी बंद हो जाय। न्यायपालिका रीढ़ है प्रजातंत्र की एवं मीडिया है उस प्रजातंत्र को कायम रखने का जरिया।... मीडिया की इनफार्मेशन ही तो मेरे पास तक आती है। श्री सिंह ने कहा कि निर्भीक पत्रकारिता, निर्भीक न्याय ये दोनों मिलते और साथ होते हैं, तो प्रजातन्त्र पुष्वित पलव्वित होते हैं।कार्यक्रम के मुख्य वक्ता वरिष्ठ पत्रकार राजखन्ना ने कहा कि जनमोर्चा सरोकारों एवं सम्बेदना का अखबार है।जो सरोकार रखते है वे ही संघर्ष करते है। 63 साल कम नही होते। इस दौरान पाठकों का विश्वास जनमोर्चा ने जीता है। अखबारों की रीति रही है जो पत्रकार दूसरों के लिए लिखते हैं, वे खुद जब              

दुनिया से रुखसत होते हैं तो उनके अखबार जी उन्हें थोड़ी सी भी जगह  नही देते। इस मामले में जनमोर्चा अपवाद है। श्री खन्ना ने जनमोर्चा से आजीवन जुड़े रहे स्व. राजेश्वर सिंह की मृत्यु बाद श्रद्धांजलि स्वरूप सोशल मीडिया पर डाली गई पोस्ट को जनमोर्चा द्वारा विस्तार से प्रकाशित करने को संपादक और अखबार की सच्ची संवेदना से जोड़ा। श्री खन्ना के अनुसार  आज मीडिया की प्राथमिकताऐं बदल गई है। आजादी के पहले खबरे प्रोडक्ट नही थी। पत्रकारिता पेशा नही थी। आज लेखनी एवं वाणी नियंत्रित हो गई है।आजाद भारत में मीडिया के एक हिस्से को भ्रम हुआ कि वह सरकार बना सकता है। मंत्री बना सकता है। मतदाता ने उसका भ्रम बार-बार तोड़ा है। प्रेस की ताकत उसमें पाठकों और दर्शकों का भरोसा है। वही उसकी पूंजी है। जिसका आज क्षरण हो रहा है। मीडिया के वजूद के लिए अर्थ की जरूरत बढ़ी है। यह जरूरत समझौतों के लिए मजबूर करती है। करने पड़ते है। लखनऊ संस्करण की संपादक और कार्यक्रम की संचालक सुमन गुप्ता ने कहा कि कोरोना ने अखबारों के सामने संकट बढ़ाया है। आज विश्वसनीयता का संकट है। हम खबरे कैसे और कौन सी दे यह भी सोचना पड़ेगा। अयोध्या संस्करण के संपादक कृष्ण प्रताप सिंह ने कवि शलभ राम सिंह की कविता आज संपादक की खैर नही...के जरिए पत्रकारिता के सम्मुख संकट एवं चुनौतियों पर प्रकाश डाला। श्री सिंह ने कहा कि आज खतरे अंदरुनी भी है, बाहरी भी है। पत्रकारिता पर संकट इसलिए बढ़ गया क्योंकि देश पर संकट बढ़ गया है। पत्रकारिता का संकट पत्रकारिता का नही देश का संकट है। लोकतंत्र पर संकट नही उसका अपहरण कर लिया गया है। वरिष्ठ पत्रकार  त्रियुग नारायण तिवारी ने कहा कि आज खबर की शुरुआत जनता की समस्याओं से नही  अधिकारियों की बन्दना से हो रही। आज दौर बदल गया है। पत्रकारिता पहले मिशन थी, आज नौकरी हो गई है। पत्रकार पीआरओ की भूमिका में है। स्थितियां बदल गई है। अब इस दौर में सारे सिद्धान्त बेमानी है।कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सूर्यकांत पांडेय ने कहा कि आज संकट पत्रकारिता पर ही नही बल्कि इंसानियत पर भी है। पूरी दुनिया संकट के दौर से गुजर रही है। सच बोलने वाले जेल जा रहे।वरिष्ठ पत्रकार इंदुभूषण पांडेय ने कहा कि प्रेस स्वतंत्र नही है तो निष्पक्ष नही है। कोई अखबार क्यों निकालता है? कोई संपादक क्यों है? जनमोर्चा पढ़ लीजिए। फैजाबाद की आवाज के संपादक सुरेश पाठक ने कहा कि पत्रकारिता में दो तरह का संकट आया है। एक पेशे का संकट दूसरा वैचारिक संकट। आज चर्चा के केंद्र में किसानों की समस्या नही बल्कि गंगा किनारे दीपों की हो रही। शांति मोर्चा के संपादक भीम यादव ने कहा कि आजादी के इतने दिन बाद भी जनता दोस्त एवं दुश्मन की पहचान खोती जा रही इसलिए इन्सानियत एवं पत्रकारिता पर संकट है। सपा नेता छेदी सिंह ने कहा कि इस बदले माहौल में भी जनमोर्चा में दृढ़ता एवं ईमानदारी से समस्याओं का जिक्र होता है। पत्रकार एवं पत्रकारिता को आगे बढ़ाने में जनमोर्चा का बड़ा योगदान है। इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकार बीएन दास, जेपी सिंह, रमेश त्रिपाठी सहित काफी संख्या में पत्रकार, राजनेता, अधिवक्ता उपस्थित रहे। अतिथियों को संपादक शीतला सिंह द्वारा शाल, स्मृति चिन्ह, देकर  सम्मानित किया गया।इस मौके पर जनमोर्चा के युवा पत्रकार जेपी यादव को भी अतिथियों द्वारा सम्मानित किया गया। आगंतुकों के प्रति आभार अमित सिंह ने जताया।



No comments:

Post a Comment



Post Bottom Ad