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Saturday, April 8, 2023

हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने साधना करके ‘‘जयगुरुदेव’’ नाम को जगा लिया-पंकज जी महाराज

 

मझगांई में आयोजित हुआ सत्संग,जुटे हजारों भक्त

चन्दौली नौगढ़,मझंगाई  मथुरा निवासी विश्व विख्यात परम सन्त बाबा जयगुरुदेव जी महाराज के उत्तराधिकारी एवं जयगुरुदेव धर्म प्रचारक संस्था मथुरा के अध्यक्ष पूज्य पंकज जी महाराज अपनी 33 दिवसीय शाकाहार-सदाचार, मद्यनिषेध, आध्यात्मिक-वैचारिक जनजागरण यात्रा लेकर 14 मार्च को मथुरा आश्रम से चलकर फिरोजाबाद, औरैया, कौशाम्बी तथा सोनभद्र जिले के ब्लाक-ब्लाक में सन्देश सुनाते हुये  25 वें पड़ाव पर ग्राम मझगांईं पहुंचे तो बहुत दिनों से आस लगाये प्रेमियों व स्थानीय भाई-बहनों ने कई बैण्ड बाजें, पुष्पवर्षा व द्वीप प्रज्वलित कलशों द्वारा पूरे यात्रियों का भावपूर्ण स्वागत किया। आज यहां सत्संग समारोह का आयोजन हुआ। मंच पर संगत के पदाधिकारियों व क्षेत्र के मणमान्य जनों ने पुष्पहार भेंट कर महाराज जी का स्वागत किया। अपने सत्संग सम्बोधन में संस्थाध्यक्ष ने कहा कि उस परम पिता परमात्मा ने अति दया-कृपा करके आपको ये मनुष्य शरीर दे दिया और आपको अधिकार दे दिया कि चाहे आप अच्छा करो या बुरा, आप स्वतंत्र हो लेकिन उसका फल भोगने के लिये आप पूरी तरह से परतन्त्र हो। गीता का भी उपदेश है ‘‘ कर्मण्येव अधिकारस्ते, माँ फलेषु कदाचन्’’। रामचरित मानस में भी लिखा है ‘‘कर्म प्रधान विश्व रचि राखा, जो जस करइ सो तस फल चाखा।’’ उस परमात्मा ने कहा कि मैने आपको यह मनुष्य शरीर जीवात्मा के निश्चित समय तक के लिये रहने के लिये दिया है, तुम मेरे मकान के द्वारा उस मालिक की भक्ति करके अपनी 

जीवात्मा का कल्याण करा लेना। मैने यह मकान किराये पर दिया है, जब समय पूरा होगा मैं अपने सिपाहियों को भेजूंगा तो तुम मेरे मकान को खाली कर देना। उस समय न जमीन जायदाद काम आयेगी, न जाति और बिरादरी काम आयेगी। मन को, बुद्धि को, चित्त को और जीवात्मा को निकालकर बाहर कर दिया जायेगा और आपका यह शरीर यहीं गिर जायेगा। जीवात्मा के निकल जाने के बाद यह शरीर केवल एक मिट्टी का पुतला है। इससे ज्यादा कुछ भी नहीं। आप इस पुतले को कन्धे पर ले जा करके या तो जला देंगे या दफना देंगे। आपकी कौम, मजहब, आपकी जाति आपका नाम उसी श्मशान भूमि में जलकर राख हो जायेगा। सब कुछ हमारा यहीं छूट गया। अब ऊपर इस जीवात्मा को धर्मराज तुम्हारे खोटे-बुरे कर्मों के हिसाब से सजा सुना देंगे कि ले जाओ इनको फला नर्क में डाल दो क्योंकि हमने इनको मौका दिया था कि गीता-रामायण, धार्मिक पुस्तााकों को पढ़ करके और किसी सन्त महात्मा की खोज करके, उनके बताये हुये रास्ते पर चल करके मालिक की भक्ति करके अपनी जीवात्मा का कल्याण करा लेना। लेकिन हम आप इस संसार में फंस करके उस पराविद्या से अनभिज्ञ हो गये। अपने उद्देश्यों 

और अपने वादे को भूल गये। लेकिन यहां के झूठे ऐशो इशरत व शराबों-कबाबों में फंस कर सुख ढूढ़ने लगे। अब हमको यह भी याद नहीं रहा कि हम कौन हैं? कहां से आये और बाद मरने के बाद कहां जायेंगे? इसीलिये  वह परम पिता परमात्मा इस धरा भूमि पर सन्तों, महात्माओं को भेजकर हम जीवों को समझाने की कोशिश करते हैं कि ‘‘ हम आये वहि देश से, जहां तुम्हारो धाम। तुमको घर पहुंचावना एक हमारो काम।।सन्त फकीर महात्मा इस कलयुग में कलयुग की सरल साधना का भेद जीवों को समझाते हैं क्योंकि अन्य युगों की साधना इस युग में सम्भव नहीं है। ‘‘साधना तीन सार उन बरने और साधन सब थोथे जान।’’ और वह है पहला-सुमिरन (मालिक के नाम का मौन जाप), दूसरा-ध्यान (दोनों आंखें बन्द करके एकाग्र होकर दूर सामने देखना), तीसरा है भजन (आंख कान बन्द करके ऊपर की तरफ ध्यान देकर वेदवाणी-अनहदवाणी को सुनना)। यदि अपने मन, चित्त, बुद्धि को रोककर लगातार एक महीने कर लिया तो निश्चित रूप में आपको दिखाई भी पड़ेगा और सुनाई भी पड़ेगा। यह रास्ता सच्चा है। हमारे गुरु महाराज बाबा जयगुरुदेव जी महाराज ने साधना करके ‘‘जयगुरुदेव’’ नाम को जगा 

लिया यानि सिद्ध कर लिया। किसी भी मुसीबत की घड़ी में आप पुकारोगे तो हमेशा यह नाम आपकी रक्षा करेगा। महाराज जी ने उपस्तिथ जन समूह को सुरत-शब्द भेद (नाम-योग) का भेद देकर विधिवत् समझाया। महाराज जी ने वर्तमान में बढ़ती हुई हिंसा व अपराध पर चिंता व्यक्त की और कहा कि चरित्र मानव धर्म की सबसे बड़ी पूंजी है। बिना चरित्र के अरबपति, खरबपति की कोई कीमत नहीं है। सबको चाहिये कि अशुद्ध आहार (मांसाहार) से दूर रहें और शराब जैसे नशीले पदार्थों का परित्याग करें। अच्छे समाज के निर्माण में सहयोग दें। भगवान के भजन से बरकत आयेगी। उन्होंने आगामी 17 से 21 मई तक जयगुरुदेव आश्रम मथुरा में होने वाले अपने गुरु महाराज परम संत बाबा जयगुरुदेव जी के ग्यारहवें पावन भण्डारा पर्व पर पधारने का निमन्त्रण दिया तथा बताया कि मथुरा में वरदानी जयगुरुदेव मन्दिर बना है जहां बुराईयां चढ़ाने पर मनोकामना की पूर्ति होती है। जिला-इटावा में तह. भरथना के गांव खितौरा धाम में बाबा जी की पावन जन्मभूमि है यहां पर भी भव्य वरदानी मन्दिर बना है। यहां सभी सम्प्रदायों के लोग आते हैं। इस अवसर पर जसवन्त प्रसाद चौरसिया अध्यक्ष संगत चन्दौली, देवराज यादव प्रधानाचार्य, जगनारायण सिंह आयोजक, पन्ना यादव, बद्री यादव, सुजीत सिंह प्रमुख प्रतिनिधि शमशेरपुर, भगवानदास, मोहन केसरी, सुदामा प्रधान शहावगंज, रामवचन गिरी, अनरुद्ध यादव प्रधान, डा. भगीरथ, रामजनम सिंह, जवाहर जायसवाल तह. अध्यक्ष चकिया, संस्था के कई पदाधिकारी एवं प्रबन्ध समिति के सदस्य उपस्थित रहे। शांति और सुरक्षा व्यवस्था में पुलिस प्रशासन ने सहयोग किया। सत्संग के बाद गुरु कार्ष्णि महाविद्यालय कसिहर (बेलहर बिक्सी) जिला-मीरजापुर के लिये प्रस्थान कर गई, जहां कल (आज) दिन के 11. 30 बजे से सत्संग आयोजित है।



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